मौन हुई सूरजमणी की शहनाई की गूँज - डॉ. राजेश चौहान
मौन हुई सूरजमणी की "शहनाई की गूँज" हिमाचल प्रदेश के संगीत और सांस्कृतिक परंपरा में शहनाई वादन का अपना विशेष स्थान रहा है, और इस परंपरा को संजीवनी देने वाले थे मंडी जिले के चच्योट गांव के निवासी सूरजमणी। उनका नाम शहनाई वादन की कला के शिखर पुरुषों में शुमार है, जिन्होंने इस पारंपरिक वाद्ययंत्र को अपने अनूठे कौशल और मधुर धुनों के माध्यम से न केवल प्रदेश में बल्कि पूरे भारत में एक अलग पहचान दिलाई। इन्हें हिमाचल का बिस्मिल्लाह खान कहकर भी पुकारा जाता था। आकाशवाणी शिमला से शहनाई वाद्य में हिमाचल के एकमात्र "ए ग्रेड" कलाकार सूरजमणी का जन्म मंडी जिले के चच्योट गांव में हुआ था, जो अपनी सांस्कृतिक धरोहर और लोक संगीत के लिए प्रसिद्ध है। संगीत के प्रति उनका झुकाव बचपन से ही था। वह अपने परिवार की सांस्कृतिक विरासत से गहराई से जुड़े थे, और उन्होंने शहनाई वादन की बारीकियों को अपने बुजुर्गों से सीखा। शहनाई वादन की पारंपरिक विधाओं को अपनाते हुए सूरजमणी ने इस वाद्ययंत्र को एक नई ऊंचाई दी और हिमाचल के हर कोने में अपने शहनाई के सुरों को बिखेरा। शहनाई की अपनी विशिष्ट ध्वनि होती है, जो...