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सीर उत्सव घुमारवीं - डॉ. राजेश चौहान

भारत विविधताओं से भरी भूमि है, जहां संस्कृति, परंपराएं और प्रकृति की सुंदरता आपस में गुथी हुई हैं। समाज में इस सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहर को जीवंत रखने के लिए विभिन्न स्थानीय पर्वों और मेलों का आयोजन किया जाता है। ऐसे ही एक अनूठे पर्व, "सीर उत्सव" का शुभारंभ 2 अक्टूबर 2023 को घुमारवीं में हुआ, जिसे उपमंडलाधिकारी गौरव चौधरी की अध्यक्षता में गठित मेला समिति ने तत्कालीन विधायक और वर्तमान में तकनीकी शिक्षा, व्यावसायिक और औद्योगिक प्रशिक्षण मंत्री, राजेश धर्माणी की परिकल्पना के अनुरूप साकार रूप प्रदान किया। यह महोत्सव राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के जन्मदिवस पर आयोजित होता है और मनोरंजन के साथ-साथ प्राकृतिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण का प्रतीक है। सीर उत्सव की शुरुआत पवित्र रुक्मिणी कुंड में आस्था की दीपमालिका प्रज्ज्वलित करने से होती है। यह पर्व न केवल एक सांस्कृतिक आयोजन है, बल्कि अपने भीतर कई गहरे उद्देश्यों को समेटे हुए है। शोभा यात्रा के बाद सीर गंगा के तट पर मंत्रोच्चारण और पूजन के माध्यम से इस महोत्सव की आध्यात्मिकता...

आख़िर विकास किस कीमत पर? - डॉ. राजेश चौहान ( Dr. Rajesh K Chauhan )

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  आख़िर विकास किस कीमत पर? हिमाचल प्रदेश अपनी प्राकृतिक सुंदरता, बर्फ से ढके ऊँचे-ऊँचे पहाड़ों, कल-कल बहती नदियों और हरे-भरे बाग-बगीचों के कारण सदैव लोगों को आकर्षित करता रहा है। इस प्रदेश की पहचान इसकी शांति, सादगी और प्रकृति से गहरे जुड़े जीवन में रही है। सदियों से यहाँ का समाज पर्वतीय जीवनशैली और पर्यावरण के संतुलन के साथ जीता आया है। लेकिन पिछले कुछ दशकों में जब विकास की तेज़ लहर इस राज्य में पहुँची, तो उसने यहाँ की नाज़ुक पारिस्थितिकी और परंपरागत जीवन के ताने-बाने को गहराई से प्रभावित करना शुरू कर दिया। सड़कों का विस्तार, बाँधों और हाइड्रो प्रोजेक्टों का निर्माण, पर्यटन को बढ़ाने की होड़ और अनियंत्रित निर्माण ने हिमाचल के नाजुक पर्यावरण पर गहरा दबाव डाला है। नतीजा यह हुआ कि अब यहाँ विकास के साथ-साथ आपदा का सिलसिला भी तेज़ी से बढ़ता जा रहा है। जहाँ कभी लोग पहाड़ों की सुंदरता देखने आते थे, वहीं अब खबरों में अक्सर भूस्खलन, क्लाउडबर्स्ट, फ्लैश फ्लड और सड़कों के टूटने जैसी घटनाएँ सुर्खियाँ बनती हैं। पिछले कुछ वर्षों के आँकड़े गवाही देते हैं कि आपदाएँ अब अपवाद नहीं रहीं बल्कि एक खतरन...