रील और व्यूज़ के जाल में फंसी युवा पीढ़ी - Dr. Rajesh K Chauhan
रील और व्यूज़ के जाल में फंसी युवा पीढ़ी तकनीक के विस्तार ने समाज को जितना जोड़ा है, उतना ही उसे विचलित भी किया है। सोशल मीडिया इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। हिमाचल जैसे शांत, सांस्कृतिक और प्रकृति-प्रधान प्रदेश में भी रील और ब्लॉगिंग की बाढ़ ने जीवन की सहजता को प्रभावित किया है। कभी देवभूमि कहलाने वाले इस प्रदेश में आज कई स्थानों पर जीवन से अधिक महत्व दृश्य को मिलने लगा है। पहाड़, सड़कें, नदियाँ और धार्मिक स्थल अब आस्था या प्रकृति से अधिक “कंटेंट” बनते जा रहे हैं। सुबह उठने से लेकर रात सोने तक, घर के छोटे-बड़े कामों में, रोटी बनाते या खाते समय, स्कूल और ऑफिस जाते हुए, सड़क पर ड्राइव या बाइक चलाते समय, खेत, बाग़ और खलियानों में काम करते हुए—हर पल अब कैमरे की नजर में कैद करने की होड़ बन गई है। रेलवे प्लेटफार्म, हवाई अड्डा या यात्रा के दौरान भी यह प्रवृत्ति कम नहीं होती। यहां तक कि शमशान जैसी संवेदनशील जगह पर भी गंभीरता की परवाह किए बिना रील बनाने का सिलसिला चलता है। कहीं भी, कभी भी, अब जीवन का हर क्षण केवल व्यूज़ के लिए ही नजर आता है। प्रदेश के पर्यटन स्थलों पर यह प्रवृत्ति विशेष रूप ...