गुरुवार, 30 मई 2019

संगीत और योग विद्यार्थियों को बनाएगा निरोग- Dr. Rajesh K Chauhan

हिमाचल प्रदेश सरकार ने संगीत तथा योग विषय को स्कूलों में पढ़ाने का निर्णय लिया है। इस संदर्भ में हिमाचल प्रदेश शिक्षा विभाग द्वारा पाठ्यक्रम भी तैयार किया जा रहा है। सरकार के इस निर्णय से प्रदेश के स्कूलों में चल रहे शिक्षा के स्तर को सुधारने में काफी सहायता मिलेगी। वर्तमान समय में हिमाचल प्रदेश के स्कूलों में  ये विषय न के बराबर पढ़ाए जाते हैं। वर्तमान समय में प्रतिस्पर्धात्मक शिक्षा की होड़ में विद्यार्थी किताबों तले दब चुके हैं।  परिणाम स्वरुप मानसिक तनाव का शिकार हो रहे हैं जिसका सीधा असर उनके परीक्षा परिणामों तथा स्वास्थ्य पर स्पष्ट देखा जा सकता है। विद्यार्थी शारीरिक तथा मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं है। ऐसे में संगीत तथा योग विषय उनका सर्वांगीण विकास करने में अहम भूमिका निभा सकते हैं। जहां संगीत उन्हें मानसिक तनाव से दूर करेगा वहीं योग शारीरिक रूप से स्वस्थ रखेगा। सरकार के इस फैसले से हिमाचल प्रदेश में संगीत तथा योग विषय में डिग्री धारक सैकड़ों बेरोजगार युवाओं को भी रोजगार मिलेगा। सरकारी विद्यालयों में संगीत ना होने के कारण यहां के विद्यार्थी निजी विद्यालयों में पढ़ रहे छात्रों से पिछड़ जाते हैं क्योंकि छात्रों को अपनी और आकर्षित करने के लिए निजी विद्यालय संगीत तथा योग विषय की शिक्षा प्रदान कर रहे हैं।  
शिक्षा का अधिकार अधिनियम और राष्‍ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा 2005 में विद्यालयीय परिवेश एवं कक्षा-कक्षों का वातावरण प्रजातांत्रिक, बाल मैत्रीपूर्ण तथा दण्ड एवं भयमुक्त बनाने पर बल दिया गया है। अपनी पसंद का विषय  पढ़ना भी इसी अधिकार के अंतर्गत आता है।  इस अधिकार के तहत  विद्यार्थी के इच्छित विषय को  विद्यालय में  पढ़ाने का प्रावधान करवाना  सरकार का  दायित्व  है। सरकारी स्कूलों मे शिक्षा ग्रहण कर रहे गरीब एवं मध्यम वर्गीय परिवारों के लाखों विद्यार्थी इन महत्वपूर्ण विषयों से अभी तक वंचित हैं। ये विद्यार्थी भी योग, गायन, तबला, हारमोनियम, सितार, नृत्य आदि विधाएं सीखना चाहते हैं लेकिन विद्यालय में  विषय न होने के कारण नहीं सीख पा रहे हैं परिणाम स्वरुप इनकी प्रतिभा विद्यालय स्तर पर ही बढ़ने की जगह धीरे धीरे समाप्त हो रही है।
शिक्षण में गीत संगीत का महत्त्व निर्विवाद स्वीकार्य है। वहीं योग की मदद से स्वस्थ शरीर संभव है। क्योकि इससे सारे शरीर के रोगों का निदान होता है। योग केवल शरीर को ही बलशाली नहीं बनाता  बल्कि यह मन मस्तिष्क को उसके कार्य के प्रति जागरूक भी करता है। दृष्टिगोचर है कि विद्यालयों का गम्भीर और अरुचिकर वातावरण बच्चों को न केवल शिथिल एवं थका देता है अपितु उन्हें निस्तेज भी कर देता है। सुबह विद्यालय में प्रवेश करते हुए उत्साह-उल्लास से भरे पूरे हँसते-खिलखिलाते फूल-से सुकोमल चेहरे घर जाते समय मुरझाये और निर्जीव-से दिखाई पडते हैं। लगातार पढ़ाई से बच्चे विद्यालय में घुटन और पीड़ा का झेलने को विवश होते हैं। वे समय-सारिणी के अनुकूल जीने को मजबूर होते हैं। घण्टी बजती है, घण्टे बदलते हैं ,विषय बदलते हैं, शिक्षक बदलते हैं लेकिन नहीं बदलता तो वह बच्चों को मुँह चिढ़ाता डरावना बोझिल वातावरण और पारम्परिक शिक्षण का तरीका। परिणाम स्वरूप बच्चे निष्क्रिय रहते हैं और उनका सीखना बाधित होता है। विद्यार्थियों की अध्ययन क्षमता को बढ़ाने के लिए  कक्षा शिक्षण के दौरान माहौल को रुचिपूर्ण एवं आनन्ददायी बनाने के लिए बीच-बीच में प्रेरक चेतना गीतों का प्रयोग कर न केवल बच्चों का मन जीता जा सकता है बल्कि उनका मानसिक तनाव भी दूर किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त  विषय वस्तु को  सांगीतिक रूप प्रदान कर उनके लिए सहज  ग्राह्य  भी बनाया जा सकता है।  प्रारंभिक शिक्षा में गिनती, पहाड़े, कविताएं, कहानियां तथा भाषा ज्ञान गीत-संगीत के माध्यम से बड़ी सरलता से बच्चों को दिया जा सकता है। शिक्षण की इस तकनीक का प्रयोग विभिन्न देशों के साथ साथ भारत के भी उच्च स्तरीय विद्यालयों में सफलता के साथ किया जा रहा है। 
सरकार की इन विषयों के प्रति सकारात्मक सोच अति सराहनीय है।  विद्यालय शिक्षा में हमारी प्राचीन संस्कृति से संबंधित विषयों को अनिवार्यता से पढ़ाया जाना चाहिए। केवल तभी हम पाश्चात्य संस्कृति की तरफ अग्रसर युवाओं को अपनी  समृद्धि  संस्कृति से अवगत करा सकेंगे। 

बुधवार, 29 मई 2019

KV Gaurav Gaan lyrics


Kendriya Vidyalaya Gauav Gaan lyrics

Lyricist and Composer  : Dr.Rajesh K Chauhan

                                           
Kendriya vidyalaya, aage badhata jaayega
Kendriya vidyalaya, Kendriya vidyalaya

Asatomaan sadgamaya, mantra se ho aaghaaz
Tat tvam pushan apaavrinu, chhand pe hamko naaz
Naitikataa aur maitribhaav, jeevan me laayega
Kendriya vidyalaya…………………………………..

Rashtra ekta sthapit karna, matra ek hai dharm
Shiksha me gunvatta laana, pratham yahi hai karm
Takneeki anusandhaanon ka, daur laayega
Kendriya vidyalaya……………………………….

Bangaali, gujraati, kannada, malyaalam aur sindhi
Sanskrit, oriya, urdu, tamil, Punjabi aur hindi
Baal baal yhaan rajbhasha, gyaan paayega
Kendriya vidyalaya………………………………..

Maatri bhoomi par mitane vaali, paudh lagaayega
Vishva guru ke path par bhaarat, chalata jaayega
Poorab, pashchim, uttar, dakshin milkar gaayega
Kendriya vidyalaya………………………………………….

Satat vyaapak moolyaankan, utkrisht kare parinaam
Kreedaayen, saangeetik pratibha, roshan karti naam
Shikshaarthi ko jaagrit, saksham, dheer banaayega
Kendriya vidyalaya………………………………………….

Swarnim hai isaka Itihaas, Gauravmayi kahaani
Desh videsh me parcham lehara, saari duniya maani
Pratipaadit nav beej mantra, jag me chha jaayega
Kendriya vidyalaya………………………………………….

केन्द्रीय विद्यालय गौरव गान
                           
केन्द्रीय विद्यालय आगे बढ़ता जाएगा
केन्द्रीय विद्यालय, केन्द्रीय विद्यालय

असतो मा सद्गमय मंत्र से हो आग़ाज़
तत् त्वं पूषन् अपावृणु छंद पे हम को नाज़
नैतिकता और मैत्री भाव जीवन में लाएगा
केन्द्रीय विद्यालय..........................

राष्ट्र एकता स्थापित करना मात्र एक है धर्म
शिक्षा में गुणवत्ता लाना प्रथम यही है कर्म
तकनीकी अनुसंधानों का दौर लाएगा
केन्द्रीय विद्यालय..........................

बंगाली, गुजराती, कन्नड़, मलयालम और सिंधी
संस्कृत, ओड़िया, उर्दू, तमिल, पंजाबी और हिन्दी
बाल - बाल यहाँ राजभाषा ज्ञान पाएगा
केन्द्रीय विद्यालय..........................

मातृ भूमि पर मिटने वाली पौध लाएगा
विश्व गुरु के पथ पर भारत बढ़ता जाएगा
पूरव-पश्चिम, उत्तर-दक्षिण मिलकर गाएगा
केन्द्रीय विद्यालय..........................

सतत व्यापक मूल्यांकन उत्कृष्ट करे परिणाम
क्रीड़ायें, सांगीतिक प्रतिभा, रोशन करती नाम
शिक्षार्थी को जागृत, सक्षम, धीर बनाएगा
केन्द्रीय विद्यालय..........................

स्वर्णिम है इसका इतिहास, गौरवमयी कहानी
देश-विदेश में परचम लहरा, सारी दुनिया मानी
प्रतिपादित नव बीज मंत्र, जग में छा जाएगा
केन्द्रीय विद्यालय..........................

विश्व के प्राचीनतम लोकतंत्र मलाणा गाँव की अद्भुत परंपराएं - Dr. Rajesh K Chauhan (Amazing traditions of the world's oldest democracy Malana village)


विश्व के प्राचीनतम लोकतंत्र मलाणा गाँव की अद्भुत परंपराएं      

Dr.Rajesh K. Chauhan
Mobile : 9418376502
अपनी सुप्राचीन लोकतांत्रिक व्यवस्था एवं संस्कृति के कारण हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जनपद का मलाणा गांव विश्व विख्यात है। यहां आज भी शासन व्यवस्था स्थानीय परिषद द्वारा चलाई जाती है। कुल्लू जिले के अति दुर्गम इलाके में स्तिथ है मलाणा गाँव को हम भारत का सबसे रहस्यमयी गाँव भी कह सकते हैं। इस गांव के निवासी खुद को सिकंदर के सैनिकों का वंशज मानते हैं। मलाणा भारत का एकमात्र गांंव है जहाँ मुग़ल सम्राट अकबर की पूजा की जाती है। महज 4700 जनसंख्या वाला यह गांव भारत सरकार द्वारा निर्धारित किए गए कानूनों को नहीं मानता है। यहां गांव की स्वतंत्र संसद है जिसमें ऊपरी तथा निम्न दो सदन हैं ऊपरी सदन जेष्टांग और निम्न सदन कनिष्टांग के नाम से जाने जाते हैं। संसद द्वारा ही स्थानीय देवता की आज्ञा से नए कानून बनाए जाते हैं। माना जाता है कि पुरातन में कुछ समय तक महर्षि जमलू (जमदग्नि) इस गांव में रहे थे उन्होंने ही इस गांव के लोगों के लिए नियम बनाए थे, जो आज तक चल रहे हैं। प्रशासनिक व्यवस्था परिषद के सदस्यों द्वारा देखी जाती है। परिषद में सदस्यों की संख्या 11 रहती है। इन सदस्यों को  महर्षि जमलू  के प्रतिनिधि माना जाता है। माना जाता है कि इस गांव के एक व्यक्ति में महर्षि जमलू की आत्मा प्रवेश कर जाती है। उस व्यक्ति को गांव का प्रमुख गुर या गुरु माना जाता है वही व्यक्ति देवता के फरमान लोगों तक पहुंच जाता है।         


इस गांव की सामाजिक संरचना पूर्ण रूप से ऋषि जमलू  देवता के ऊपर अविचलित श्रद्धा व विश्वास पर टिकी हुई है। ऋषि जमरू के द्वारा दिए गए नियमों पर आधारित 11 सदस्यीय परिषद के फैसलों को प्रत्येक ग्रामीण को मानना पड़ता है। परिषद के द्वारा बनाए गए नियम बाहरी लोगों पर लागू नहीं होते। कुल मिलाकर यहां की प्रशासनिक तथा सामाजिक व्यवस्था प्राचीन ग्रीस की राजनीतिक व्यवस्था से मिलती है इसी कारण मलाणा गांव को हिमालय का एथेंस कहकर भी पुकारा जाता है।
मलाणा गांव चरस तथा अफीम के व्यापार के कारण भी सुर्खियों में रहता है। यहां पर पैदा की जाने वाली चरस की अंतरराष्ट्रीय बाजा़र में खासी डिमांड है। इसी कारण ग्रामीण लोग चरस की खेती करते हैं। यह इनका पुश्तैनी व्यवसाय भी है। चरस के शौकीन विदेशी यहां काफी संख्या में आते हैं। मलाणा गांव में चरस बेचने पर कोई प्रतिबंध नहीं किंतु गांव के बाहर चरस बेचना भारतीय कानून के अन्तर्गत प्रतिबंधित है। यहां की चरस उत्तम गुणवत्ता वाली मानी जाती है तथा मलाणा क्रीम के नाम से प्रसिद्ध है। इसी कारण बाजार में इसकी कीमत भी अधिक है।

यहां के निवासी जिस रहस्यमई बोली का प्रयोग करते हैं उसे रक्ष के नाम से जाना जाता है। कुछ लोग इसे राक्षसी बोली भी मानते हैं। यह बोली संस्कृत तथा तिब्बती भाषाओं का मिश्रण लगती है। यह आसपास के किसी भी क्षेत्र की बोली से यह मेल नहीं खाती है।
मलाणा गांव अपने अजीबोगरीब नियमों के कारण विश्व के मानचित्र पर चर्चा में रहा है। यहां के निवासी अपने आप को सबसे श्रेष्ठ मानते हैं तथा बाहरी लोगों को निम्न दर्जे का मानते हैं। बाहरी लोग गांव में बने घरों, पूजा स्थलों, स्मारकों, कलाकृतियों तथा दीवारों को नहीं छू सकते हैं। यदि वे ऐसा करते हुए पकड़े जाते हैं तो यहां के लोग उनसे कम से कम दो हजार रुपए तक जुर्माना वसूलते हैं। यहां की विचित्र परंपराओं को जानने तथा देखने के लिए यहां हर वर्ष हजारों की संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं। पर्यटकों के रुकने की गांव में किसी भी प्रकार की व्यवस्था नहीं है। इन्हें गांव से बाहर बने टेंट तथा सरायों में ही रहना पड़ता है। गांव में प्रवेश करने से पहले पर्यटकों को सभी नियम समझा दिए जाते हैं। यह नियम सार्वजनिक स्थलों पर हिंदी तथा अंग्रेजी में लिखे गए भी होते हैं। यहां आने वाले पर्यटकों को वीडियोग्राफी करने की इजाजत नहीं है। उन्हें यहां के निवासियों से दूर रहने की हिदायत दी जाती है। साथ ही किसी भी सामान को टच नहीं कर सकते हैं। यदि आपको कुछ भी खरीदना है तो दुकानदार को दूर से ही पैसा दिया जाता है। दुकानदार भी सामान को काउंटर पर रख देता है। अगर आपने किसी ग्रामीण को टच कर दिया तो वो फौरन जाकर स्नान करता है। यहां के लोग बाहरी लोगों द्वारा बनाए गए भोजन को भी नहीं खाते हैं।

मलाणा गांव के निवासी संगीत प्रेमी भी हैं। यहां पर विभिन्न त्योहारों के अवसर पर लोग गांव के प्रांगण में इकट्ठा होकर पारंपरिक धुनों पर नृत्य करते हैं। लेकिन गांव की महिलाएं पुरुषों के साथ सामूहिक नृत्य नहीं कर सकती यदि महिलाएं पुरुषों के साथ नृत्य करती हुई पाई जाए तो उन पर भी दंड के रूप में जुर्माने का प्रावधान है। यहां के कानून के अनुसार शादीशुदा महिला पुरुष के साथ नृत्य नहीं कर सकती। कुछ समय पहले ऐसा हुआ था परिणाम स्वरूप देव संसद ने 70 महिलाओं को दोषी पाते हुए इन पर भारी-भरकम जुर्माना लगा दिया। यहां दिलचस्प बात यह है कि देव दोष या दंड के भय के कारण यहां के ग्रामीण इस तरह के फरमानों का विरोध नहीं कर पाते ।





             

शिक्षा के अभाव, अपनी प्राचीन व्यवस्था को जीवित रखने तथा आधुनिकता से अपने आपको अलग रखने के कारण मलाणा प्रदेश के अन्य गांव की अपेक्षा पिछड़ा क्षेत्र है। यहां के लोग अभी भी पारंपरिक व्यवसाय कर रहे हैं तथा गांव के बाहर नहीं निकल पाए हैं। युवा भी शिक्षा से दूर हैं। हालांकि सरकार द्वारा अब वहां स्कूल तथा अस्पताल भी खोले गए हैं। पक्के मकानों का निर्माण भी किया जा रहा है। बावजूद इसके अभी भी यह गांव आधारभूत आवश्यकताओं से पूरी तरह नहीं जुड़ पाया है। सड़क आज भी गांव से लगभग तीन किलोमीटर दूर है। सरकार इस गांव को मुख्यधारा में लाने के लिए प्रयासरत है किंतु यहां के लोग अपनी पुरातन परम्पराओं से आगे बढ़ते प्रतीत नहीं हो रहे हैं। सरकार चरस की खेती की जगह अन्य फसलों की खेती करने को प्रोत्साहन दे रही है। इसके लिए उन्हें निशुल्क बीज तथा अनाज भी मुहैया करवाया जा रहा है लेकिन मलाणा के लोग अभी भी अपने पारम्परिक व्यवसाय को ही ज्यादा तवज्जो देते हैं। संक्षिप्त में यही कहा जा सकता है कि आधुनिकता के इस दौर में भले ही मलाणा गांव देश के अन्य गांवों या शहरों की भान्ति विकसित/विकासशील नहीं है, आधारभूत आवश्यकताओं से दूर है, विभिन्न अंधविश्वासों से घिरा हुआ, दुनिया से अलग-थलग है बावजूद इसके प्राकृतिक सुंदरता से अलंकृत यह गांव अपनी सुप्राचीन लोकतांत्रिक व्यवस्था के कारण पूरे विश्व का ध्यान अपनी और आकर्षित कर रहा है।

नववर्ष 2025: नवीन आशाओं और संभावनाओं का स्वागत : Dr. Rajesh Chauhan

  नववर्ष 2025: नवीन आशाओं और संभावनाओं का स्वागत साल का अंत हमारे जीवन के एक अध्याय का समापन और एक नए अध्याय की शुरुआत का प्रतीक होता है। यह...