संगीताभिलाषी ( Sangeetabhilashi Music book)
🎼 डॉ. राजेश कुमार चौहान
Dr. Rajesh K Chauhan
🧑🎓 व्यक्तिगत विवरण
पूरा नाम: डॉ. राजेश कुमार चौहान
जन्म तिथि: 10 दिसंबर 1984
जन्म स्थान: लानाचेता, हिमाचल प्रदेश
माता का नाम: श्रीमती जयवंती चौहान (आकाशवाणी की वरिष्ठ लोक गायिका, संगीतप्रेमी)
पिता का नाम: श्री नरेश चौहान ( पुलिस विभाग से सेवानिवृत कर्मचारी एवं लोकगायक)
पत्नी: डॉ. अभिलाषा शर्मा (प्रसिद्ध संगीत साधिका, लेखिका, शोधार्थी, एवं सुगम व लोक संगीत में आकाशवाणी शिमला से बी. हाई. ग्रेड की गायिका)
निवास: स्वर वाटिका, न्यू शिमला।
🎓 शैक्षणिक पृष्ठभूमि
डॉ. राजेश चौहान ने अपनी स्कूली शिक्षा शिमला से पूरी की। विद्यालय स्तर पर संगीत विषय उपलब्ध न होने के बावजूद, उन्होंने आत्मबल और पारिवारिक प्रेरणा से संगीत की ओर रुझान बनाए रखा।
बी.ए. (संगीत) – राजकीय महाविद्यालय संजौली, शिमला
एम.ए. (संगीत) – हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय
पीएच.डी. (संगीत) – हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (शोध विषय: शैक्षणिक संस्थानों में शास्त्रीय संगीत का स्तर)
राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (NET) – UGC द्वारा आयोजित
जूनियर रिसर्च फेलोशिप (JRF) – पाँच वर्षों तक शोध हेतु यूजीसी फेलोशिप प्राप्त
प्रमुख गुरुवर:
प्रो. रामस्वरूप शांडिल, डॉ. कृष्ण लाल सहगल (प्रसिद्ध लोकगायक), प्रो. सी.एल. वर्मा, डॉ. सविता सहगल
🏛️ पेशागत कार्य एवं योगदान
👨🏫 केंद्रीय विद्यालय संगठन में संगीत शिक्षक
संगीत शिक्षा को रचनात्मक, गहन और समसामयिक संदर्भों से जोड़ने के लिए प्रतिबद्ध।
विद्यालयों में भारतीय संस्कृति, राग परंपरा, लोकगीत, और राष्ट्रीय एकता से जुड़े गीतों को बढ़ावा देने में अग्रणी।
📻 प्रसारण माध्यमों में सक्रियता
आकाशवाणी एवं दूरदर्शन शिमला के नियमित कलाकार
शास्त्रीय, लोक और आधुनिक गीतों में प्रस्तुति
उद्घोषणा, मंच संचालन, विशेष वार्ताएं, सांस्कृतिक संवादों में भी सक्रिय भूमिका
📚 प्रकाशित पुस्तक
📘 "संगीताभिलाषी" (Sangeetabhilashi)
सह-लेखिका: डॉ. अभिलाषा शर्मा
प्रकाशन: 2019
यूजीसी-NET, JRF, SET, SLAT, KVS, NVS, MA, M.Phil, Ph.D. प्रवेश परीक्षाओं के लिए अत्यधिक उपयोगी।
Amazon पर टॉप सेलिंग बुक
पुस्तक में संगीत शास्त्र, लोकसंगीत, राग, ताल, वाद्यवृंद, शोध पद्धति, एवं पाश्चात्य संगीत जैसे विषयों का सरल, रोचक व परीक्षोपयोगी प्रस्तुतीकरण।
✍️ संपादन कार्य
🗞️ पत्रिका संपादन
राज्य स्तरीय ग्रीष्मोत्सव, घुमारवीं (2023–2025) – पत्रिका के संपादक
सीर उत्सव, घुमारवीं (2024–2025) – प्रधान संपादक
इन पत्रिकाओं में उन्होंने स्थानीय संस्कृति, संगीत, कला और समाज से जुड़े आलेखों का संयोजन कर एक प्रेरक सांस्कृतिक दस्तावेज़ तैयार किया।
✍️ प्रमुख लेख व आलेख
डॉ. राजेश चौहान द्वारा लिखे गए आलेख केवल साहित्यिक नहीं, बल्कि सामाजिक सरोकारों से भी गहराई से जुड़े होते हैं। इनके अनेक प्रतिष्ठित शोध पत्रिकाओं, राष्ट्रीय व राज्य स्तरीय जर्नलों में कई शोधपत्र प्रकाशित हैं। कुछ प्रमुख लेखकों की सूची यहां दी जा रही है-
थैय्यम : एक कलात्मक परंपरा
परंपरा से दूर होता लोक संगीत
संगीत एक उत्तम औषधि
समाज के शिल्पकार की बढ़ती चुनौतियां
शान्ति के अग्रदूत थे नेल्सन मंडेला
संस्कार विहीन युवा समाज के लिए हानिकर
संगीत मानवता के भावों के विस्फोट के रूप में सामने आता है
लॉकडाउन में ऑनलाइन कक्षाएं – एक बड़ी चुनौती
मैं मज़दूर हूँ, बेहद मजबूर हूँ
नारी के अपमान से ध्वस्त हुआ था सिरमौरी ताल
भारतीय कला और संस्कृति का सम्मान है नई शिक्षा नीति
हाटी संस्कृति
हर युवा हो राष्ट्र निर्माण में भागीदार
सांडु रे मदाना च झीला रा पाणी... (हिमाचली लोक भावों से सुसज्जित लेख)
मानवीय भावों की सरगम है संगीत
संगीत को समर्पित व्यक्तित्व – प्रो. नंदलाल गर्ग
नारी बलिदान से जनित अनुपम कृति है रुक्मणी कुंड
अब के सावन प्रलय भारी
व्यासपुर से बिलासपुर तक
हिमाचली लोकसंगीत के पितामह – एस.डी. कश्यप
विशुद्ध लोकसंगीत के संरक्षक – संगीत गुरु डॉ. कृष्ण लाल सहगल
बमूलियन सभ्यता के खोजकर्ता – मानवविज्ञानी डॉ. अनेक राम सांख्यान
अभी भी प्रचलित है महाभारतकालीन खेल नृत्य ठोडा
बेटियों की सुरक्षा : देश की बड़ी चिंता
कहानी
आवारा हूँ या बेसहारा
बचपन
वो कौन था?
🎶 प्रमुख रचनाएँ
डॉ. चौहान एक प्रभावशाली गीतकार भी हैं। उनके गीतों में जन भावनाओं, राष्ट्रप्रेम, जीवन संघर्ष और हिमाचली मिट्टी की सोंधी सुगंध रची-बसी होती है:
वतन पे मर मिटेंगे
ज़िन्दगी की रीत
कान्हा बड़ा शैतान
ऊँचे पर्वत रहने वाली
राम हैं मेरे
मैं मज़दूर हूँ
देवों की भूमि हिमाचल
काँगड़े री गोरिये
सोलणी बजार
बाजी ढ़ोलकी, बाजा नगाड़ा
केंद्रीय विद्यालय गौरव गान (Kendriya Vidyalaya gaurav gaan)
🏆 सांस्कृतिक नेतृत्व एवं आंदोलन
🎯 "संगीत छात्र कल्याण संगठन – हिमाचल प्रदेश"
स्थापना: विश्वविद्यालय जीवन के दौरान
उद्देश्य: संगीत विषय को स्कूलों और कॉलेजों में लागू करवाना
उपलब्धियां:
हस्ताक्षर अभियान चलाकर 1.5 लाख से अधिक समर्थन
प्रदर्शन व रैलियों के माध्यम से सरकार तक मांग पहुँचाना
दिल्ली, पंजाब व अमृतसर की विश्वविद्यालयीय बैठकों में भागीदारी
फलस्वरूप हिमाचल के महाविद्यालयों में संगीत प्राध्यापक पदों का सृजन हुआ
💬 व्यक्तित्व की विशेषताएँ
संगीत एवं लेखन के माध्यम से सामाजिक सरोकारों को स्पर्श करने वाले
आधुनिक तकनीकी संसाधनों से जुड़े रहते हुए भी परंपरा की जड़ों से जुड़ा व्यक्तित्व
युवा छात्रों व पाठकों में संवेदनशीलता, आत्मचिंतन और सांस्कृतिक गौरव की भावना भरने वाले प्रेरक व्यक्तित्व
शांत, विनम्र, प्रतिबद्ध और लक्ष्य के प्रति पूर्णतः समर्पित
🌐 ऑनलाइन उपस्थिति और सोशल मीडिया
Facebook Profile & Post Link: https://www.facebook.com/share/r/1Cknw4xRLN/
ब्लॉग: https://popsmusiclessons.blogspot.com
संभावित आगामी पुस्तकें: शोध आलेख संग्रह, लोकगीत विश्लेषण, हिमाचली नाट्य परंपरा, संगीत शिक्षा की आधुनिक दृष्टि आदि।
🎶 डॉ. अभिलाषा शर्मा
🧑🎓 व्यक्तिगत परिचय
पूरा नाम: डॉ. अभिलाषा शर्मा
जन्म स्थान: हिमाचल प्रदेश
माता का नाम: श्रीमती सुनीता देवी
पिता का नाम: प्रसिद्ध हिमाचली लोक कलाकार
पति: डॉ. राजेश कुमार चौहान (लेखक, शिक्षक, संगीतज्ञ)
डॉ. अभिलाषा शर्मा का जन्म एक ऐसे परिवार में हुआ, जहां संगीत एक पारिवारिक विरासत के रूप में विद्यमान था। उनकी माता श्रीमती सुनीता देवी, संगीत प्रेमी हैं, वहीं उनके पिता हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध लोक कलाकार रहे हैं। बाल्यकाल से ही अभिलाषा जी के भीतर संगीत की मधुर लहरें बहने लगी थीं, जिसने उनके जीवन को स्वर और साधना से ओतप्रोत कर दिया।
🎓 शैक्षणिक योग्यता
संगीत में स्नातक (B.A.) – प्रथम श्रेणी में
एम.ए. (संगीत) – हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (प्रथम श्रेणी)
एम.फिल. (संगीत) – विशिष्ट विषयवस्तु पर गहन अध्ययन
पीएच.डी. (संगीत) – विषय: हिमाचली लोकसंगीत का बदलता स्वरूप
NET / सलेट – अनुसंधान में उत्कृष्टता हेतु प्राप्त
उनकी शोधकार्य पद्धति, दृष्टिकोण और प्रस्तुति उन्हें एक प्रतिभाशाली शोधार्थी के रूप में स्थापित करती है।
👩🏫 व्यवसायिक योगदान
संगीत अध्यापिका के रूप में वर्षों से कार्यरत
शास्त्रीय, सुगम एवं लोक संगीत में समान अधिकार
विद्यार्थियों में संगीत की समझ, संवेदना और प्रस्तुति-कला विकसित करने पर विशेष बल
संगीत को केवल पाठ्यक्रम नहीं, बल्कि मानवीय संवेदना और संस्कृति का माध्यम मानती हैं
📻 प्रसारण माध्यमों में सक्रियता
आकाशवाणी शिमला की बी हाई श्रेणी की कलाकार
दूरदर्शन शिमला में नियमित प्रस्तुति
शास्त्रीय गायन, लोकगीत, भजन, एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों में सजीव सहभागिता
इनकी गायन शैली में हिमाचली लोक की मिठास, शास्त्रीय संगीत की गहराई और भावपूर्ण प्रस्तुति का अद्भुत समन्वय दिखाई देता है
✍️ शोध और लेखन
प्रतिष्ठित संगीत शोध पत्रिकाओं, राष्ट्रीय व राज्य स्तरीय जर्नलों में कई शोधपत्र प्रकाशित
विषयों की विविधता में लोक परंपराएं, स्त्री स्वर की भूमिका, संगीत शिक्षण पद्धतियां और सामाजिक संगीत सशक्तिकरण जैसे क्षेत्र शामिल
समीक्षा, विश्लेषण और तात्विकता की दृष्टि से उनके आलेख संगीत जगत में गंभीरता से पढ़े जाते हैं
📘 प्रमुख पुस्तक
संगीताभिलाषी (Sangeetabhilashi)
सहलेखक: डॉ. राजेश कुमार चौहान
विषय: संगीत विषय से संबंधित प्रतियोगी परीक्षाओं हेतु एक पूर्ण और व्यवस्थित मार्गदर्शक
उपयोगिता: NET, JRF, SET, SLAT, KVS, NVS, MA, MPhil, PhD प्रवेश आदि
Amazon पर सर्वाधिक बिकने वाली पुस्तक
डॉ. अभिलाषा शर्मा ने इस पुस्तक में शास्त्रीय संगीत की सैद्धांतिक गहराइयों, लोकसंगीत के व्यावहारिक आयामों, और शोध दृष्टि की बारीकियों को बड़ी सहजता और परिपक्वता से प्रस्तुत किया है
🌸 कलात्मक विशेषताएँ
गायन शैली में:
रागों की स्पष्टता और सौंदर्य
लोक भावों की मिठास
लय-ताल पर पकड़
भावप्रवण अभिव्यक्ति
शास्त्रीय, ठुमरी, भजन, हिमाचली लोकगीत, कजरी, दादरा आदि में पारंगत
🏆 विशिष्टता और योगदान
संगीत में शिक्षा, साधना और संवेदना का त्रिवेणी संगम
लोक और शास्त्रीय संगीत के माध्यम से सांस्कृतिक पुल का निर्माण
विद्यार्थियों के लिए मॉडर्न लेकिन मूल्यपरक शिक्षिका
महिला शोधार्थियों, ग्रामीण बालिकाओं और कला-संवेदनशील युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत
कला, शिक्षा और मातृत्व का सफल संतुलन
🗣️ वाणी और प्रस्तुति
आकाशवाणी, दूरदर्शन, शैक्षणिक मंचों पर उद्घोषणा, नाट्य-प्रस्तुति, काव्य-पाठ, और संगीत संवादों में नियमित सहभागिता
विद्यार्थियों में मंच आत्मविश्वास, आवाज़ की प्रस्तुति और सांगीतिक भावाभिव्यक्ति को सशक्त करने हेतु प्रतिबद्ध
🌐 संभावनाएं और लक्ष्य
हिमाचल के लोकसंगीत और स्त्री स्वर पर आधारित एक स्वतंत्र पुस्तक पर कार्य
"संगीत में लोक स्वर की समकालीन प्रासंगिकता" विषय पर आगामी शोध कार्य
युवा पीढ़ी में राग, लोक और जीवन के भावों को जोड़ने वाली शिक्षा प्रणाली का विकास
शास्त्रीय संगीत की हिमाचली बालिकाओं के बीच रोज़गारोन्मुखी शिक्षा की योजना
📌 संक्षेप में
डॉ. अभिलाषा शर्मा एक ऐसी बहुआयामी व्यक्तित्व हैं, जो गायन, शिक्षण, शोध और लेखन जैसे विविध आयामों में उत्कृष्टता के साथ कार्यरत हैं। उनकी उपस्थिति हिमाचली संगीत जगत के लिए एक सौंदर्य, विचार और परंपरा का स्रोत है। वे आने वाले समय की उन नारी संगीताचार्यों में से हैं, जो भारतीय संगीत को नई दृष्टि और दिशा देने में समर्थ हैं।
डॉ.राजेश कुमार चौहान और डॉ.अभिलाषा शर्मा द्वारा लिखित "संगीताभिलाषी" पुस्तक संगीत विषय से संबंधित विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा आयोजित नेट/जेआरएफ, विभिन्न राज्य सेवा आयोग द्वारा संचालित सेट/ स्लैट, संगीत प्राध्यापक (कॉलेज कैडर), संगीत शिक्षक केंद्रीय विद्यालय, संगीत शिक्षक जवाहर नवोदय विद्यालय तथा एम.ए, एम. फिल, पीएच.डी. प्रवेश परीक्षा आदि विभिन्न प्रतिस्पर्धात्मक परीक्षाओं के लिए अत्यधिक उपयोगी है। संगीताभिलाषी प्रकाशन वर्ष से ही अमेज़न पर सर्वाधिक बिकने वाली पुस्तकों में शुमार है।
इसे अत्यधिक लाभप्रद बनाने के लिए पुस्तक में केवल उपयोगी विषय वस्तु एवं अधिक जानकारी का समावेश इस प्रकार से किया गया है कि परीक्षार्थियों को इन परीक्षाओं की तैयारी में कोई कठिनाई महसूस ना हो।
Dr. Rajesh K Chauhan
डॉ.राजेश कुमार चौहान (१० दिसंबर १९८४) एक भारतीय लेखक, गायक, रचनाकार और गीतकार हैं। एक परिपक्व फीचर लेखक के रूप में इनकी अलग पहचान है। इनके द्वारा लिखी गई पुस्तक "संगीताभिलाषी" अमेज़न पर सर्वाधिक बिकने वाली पुस्तकों में से एक है। अनेक शोध-पत्र,आलेख और कवर स्टोरी लिख चुके डॉ.राजेश कई गीतों के रचनाकार भी हैं। वतन पे मर मिटेंगे, ज़िन्दगी की रीत, मैं मज़दूर हूँ, देवों की भूमि हिमाचल, के.वी. गान आदि इनकी विशिष्ठ रचनाएं हैं। हिमाचल प्रदेश के युवा साहित्यकारों में इनका नाम अग्रणी पंक्ति में आता है।
जीवन परिचय
डॉ.राजेश का जन्म 10 दिसम्बर 1984 को हिमाचल प्रदेश (लानाचेता) में हुआ। इनकी माता का नाम जयवंती चौहान और पिता का नाम नरेश चौहान है। इनका बचपन शिमला में बीता और स्कूली शिक्षा भी वहीं से सम्पन्न हुई। इनकी पत्नी का नाम डॉ. अभिलाषा शर्मा है। इन्होंने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से संगीत विषय में पीएच.डी.की उपाधि प्राप्त की। नेट/जे.आर.एफ. उत्तीर्ण कर अनुसंधान के लिए पांच वर्षों तक यूजीसी की फेलोशिप भी प्राप्त की। हिमाचल के सुविख्यात गायक डॉ.कृष्ण लाल सहगल की आवाज़ से आकर्षित होकर स्कूली शिक्षा के बाद महाविद्यालय में इन्होंने संगीत को एक विषय के रुप में पढ़ना शुरु किया। विश्वविद्यालय में प्रवेश पाकर संगीत की शिक्षा को आगे बढ़ाया। इसी दौरान अपने साथियों के मिलकर "संगीत छात्र कल्याण संगठन हिमाचल प्रदेश" का निर्माण किया। ये कई वर्षों तक इस संगठन के अध्यक्ष भी रहे। महाविद्यालयों शैक्षणिक और संस्थानों विद्यालयोंमें संगीत शिक्षा शुरु करवाने के उद्देश्य से बनाए गए इस संगठन के माध्यम से इन्होंने अनेक बार सरकार तक अपनी बात पहुंचाने के प्रयास किए। संगीत विषय को सभी शैक्षणिक संस्थानों में शुरु करवाने के पक्ष में इन्होंने हिमाचल प्रदेश के सभी ज़िलों में हस्ताक्षर अभियान भी चलाया। संगठन की इस मुहिम के पक्ष में प्रदेश के लगभग डेढ़ लाख लोगों ने हस्ताक्षर किए। अनेक बार हिमाचल के अलग-अलग शहरों में शांतिपूर्ण ढंग से प्रर्दशन भी किए। इस सन्दर्भ में इन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय, पंजाब विश्वविद्यालय, गुरुनानक देव विश्वविद्यालय अमृतसर इत्यादि में जाकर विभिन्न बैठकों का आयोजन भी किया परिणामस्वरूप हिमाचल प्रदेश के महाविद्यालयों में संगीत प्राध्यापकों के काफ़ी पद सृजित किए गए।
लेखन कार्य
डॉ.राजेश चौहान के लेखन कार्य की शुरुआत हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के पुस्तकालय में हुई। पीएचडी थीसिस के साथ-साथ इन्होंने अपनी बहु-प्रचलित पुस्तक संगीताभिलाषी का लेखन कार्य भी शुरु कर दिया था। इस दौरान इन्होंने शोध-पत्र और विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं के लिए लेख लिखने की शुरुआत की।
संपादक के रूप में कार्य
• इन्होंने वर्ष 2023 से लेकर 2025 तक राज्य स्तरीय ग्रीष्मोत्सव घुमारवीं की पत्रिका, जिसे उपमंडल अधिकारी घुमारवीं द्वारा प्रकाशित किया जाता है, में बतौर संपादक कार्य किया है।
• वर्ष 2024 और 2025 में सीर उत्सव घुमारवीं की पत्रिका में प्रधान संपादक के तौर पर कार्य किया है।
प्रमुख लेख
थैय्यम : एक कलात्मक परंपरा।
परंपरा से दूर होता लोक संगीत।
संगीत एक उत्तम औषधि।
समाज के शिल्पकार की बढ़ती चुनौतियां।
शान्ति के अग्रदूत थे नेल्सन मंडेला।
संस्कार विहीन युवा समाज के लिए हानिकर।
संगीत मानवता के भावों के विस्फोट के रुप में सामने आता है।
लॉकडाउन में ऑनलाइन कक्षाएं एक बड़ी चुनौती।
मैं मज़दूर हूँ, बेहद मजबूर हूँ।
नारी के अपमान से ध्वस्त हुआ था सिरमौरी ताल।
भारतीय कला और संस्कृति का सम्मान है नई शिक्षा नीति।
हाटी संस्कृति।
हर युवा हो राष्ट्र निर्माण में भागीदार।
सांडु रे मदाना च झीला रा पाणी...
मानवीय भावों की सरगम है संगीत।
संगीत को समर्पित व्यक्तित्व - प्रो.नंदलाल गर्ग।
नारी बलिदान से जनित अनुपम कृति है रुक्मणी कुंड।
अब के सावन प्रलय भारी।
व्यासपुर से बिलासपुर तक।
हिमाचली लोकसंगीत के पितामह- एस.डी.कश्यप।
विशुद्ध लोकसंगीत के संरक्षक संगीत गुरु डाॅ. कृष्ण लाल सहगल।
बमूलियन सभ्यता के खोजकर्ता मानवविज्ञानी डॉ. अनेक राम सांख्यान।
अभी भी प्रचलित है महाभारतकालीन खेल नृत्य ठोडा
बेटियों की सुरक्षा : देश की बड़ी चिंता आदि इनके द्वारा लिखे गए महत्वपूर्ण आलेख हैं।

टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें