व़तन पे मर मिटेंगे
व़तन पे मर मिटेंगे हम, वतन पे देंगे जान
देश के सिपाही हम हैं, देश के जवान ।
सरहदों पे जो भी हमसे टकराएगा
देश की क़सम है, ना वो बच पाएगा
आतंक से लडेंगे छीन लेंगे उसके प्राण
देश के सिपाही हम ..........................
उठा खड़क ज़रा ना डर क़दम बढ़ाए जा
क़दम क़दम पे दश्मनों के सर उड़ाए जा
हिन्द का तिरंगा अपनी आन-बान-शान
देश के सिपाही हम............................
ख़ुशी के गीत गुनगुनाते बढ़ते जाएंगे
मर मिटेंगे पर कभी न सर झुकाएंगे
सत्य मेव जयते ही हमारा गान
देश के सिपाही हम ............................
रचनाकार
डाॅ.राजेश चौहान
स्वर वाटिका न्यू शिमला
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