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बमुलियन सभ्यता के खोजकर्ता मानवविज्ञानी - डॉ.अनेक राम सांख्यान

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  लाखों वर्ष पहले घुमारवीं के हरितल्यांगर मध्य शिवालिक क्षेत्र में  शिवापिथिकस व रामापिथिकस नामक कपिमानव के सांझे पुरखे निवास करते थे। विद्वानों को इस क्षेत्र में सोआन और आशुलियन सभ्यता से संबंधित अनेक प्रमाण मिले हैं। यहां की चट्टानों से विभिन्न विलुप्त प्राणियों, जिनमें उल्लेखनीय है जिराफ, हाथी, गैंडा, जै़बरा जैसे घोड़े आदि के सैकड़ों अवशेष मिले हैं जिनमें से कुछ विदेशी बाहर ले गए हैं और कुछ इंडियन म्युज़ियम कलकत्ता में प्रदर्शित किए गए हैं। सीरखड्ड के किनारे सदियों से हमारे पूर्वज निवास कर रहे हैं इस बात को प्रामाणित करने का श्रेय घुमारवीं के विश्व विख्यात मानवविज्ञानी डॉ.अनेक राम सांख्यान को जाता है। उन्होंने अपने अध्ययन में पाया कि सीरखड्ड के किनारे पनपी सभ्यता सोआन और आशुलियन सभ्यता से पृथक थी। उन्होंने इस संस्कृति को "बमुलियन सभ्यता" नाम दिया है। इनके द्वारा खोजे गए कुछ जीवाष्म घुमारवीं के पेलियो म्यूज़ियम में रखे गए हैं। ये मानवउत्पत्ति  के  रहस्यों, विकासक्रम, जीव व जलवायु परिवर्तन, विलोपन, आदि प्रक्रियों का रहस्योद्घाटन कर हमारी भविष्य में झांकने की क्षमता ...