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पद्मश्री हरिमन शर्मा - एप्पल मैन ऑफ़ इंडिया

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हिमाचल प्रदेश की समृद्ध प्राकृतिक धरा ने अनेकों कर्मठ व्यक्तित्वों को जन्म दिया है जिन्होंने अपने अथक प्रयासों से प्रदेश और देश के लिए नई राहें प्रशस्त कीं। ऐसे ही एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व हैं हरिमन शर्मा , जिनका जीवन संघर्ष, परिश्रम और नवाचार की अद्वितीय गाथा है। एप्पल मैन के नाम से प्रसिद्ध हरिमन शर्मा का जन्म 4 अप्रैल 1956 को जिला बिलासपुर, हिमाचल प्रदेश के ग्राम गलासीं (डाकघर दाभला, तहसील घुमारवीं) में श्री दयाराम जी के घर हुआ। दुर्भाग्यवश, जन्म के मात्र तीन दिन बाद ही उनकी माता का स्वर्गवास हो गया। इस शैशव अवस्था में मातृ-विहीन हो जाने के बाद, उनका पालन-पोषण ग्राम पनियाला (डाकघर कोठी, तहसील घुमारवीं) के श्री रिडकु राम ने अपने दत्तक पुत्र के रूप में किया। औपचारिक शिक्षा के रूप में इन्होंने मैट्रिक तक अध्ययन किया किंतु उनके हृदय में प्रारंभ से ही कृषि और बागवानी के प्रति गहरी रुचि थी। उन्होंने पारंपरिक खेती से अलग हटकर कुछ नया करने का संकल्प लिया और यही संकल्प आगे चलकर हिमाचल के बागवानी इतिहास में स्वर्णिम अध्याय बना। हरिमन ने अपने प्रयोगात्मक दृष्टिकोण और अथक परिश्रम के ...

खगोलीय, धार्मिक और सामाजिक संगम का पर्व—मकर संक्रांति - डॉ. राजेश चौहान (Dr. Rajesh K Chauhan )

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  खगोलीय, धार्मिक और सामाजिक संगम का पर्व—मकर संक्रांति भारत में हर त्योहार न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है बल्कि वह सामाजिक और सांस्कृतिक संदर्भों में भी विशेष महत्व रखता है। इन त्योहारों में से एक अत्यंत महत्वपूर्ण और प्रसिद्ध पर्व है मकर संक्रांति। यह पर्व खगोलीय, धार्मिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहलुओं से समृद्ध है। मकर संक्रांति को भारत और नेपाल सहित दक्षिण एशिया के कई हिस्सों में भिन्न-भिन्न नामों और रीति-रिवाजों के साथ मनाया जाता है। यह पर्व पौष माह में तब आता है जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है। मकर संक्रांति केवल एक पर्व नहीं है बल्कि यह ऋतु परिवर्तन, फसल कटाई, और सूर्य देवता की पूजा का एक भव्य उत्सव है। इस दिन को उत्तरायण के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण की ओर गमन करता है। यह दिन सकारात्मक ऊर्जा, प्रकाश, और समृद्धि का प्रतीक है। मकर संक्रांति का शाब्दिक अर्थ भी सूर्य का दक्षिणी गोलार्द्ध से उत्तरी गोलार्द्ध की यात्रा का उत्सव है। मकर संक्रांति पर सूर्य राशि परिवर्तन करके मकर राशि में प्रवेश करते हैं मकर संक्रांति का मुख्य आधार खगो...

देवतंत्र की प्राचीन विरासत - पौराणिक भूंडा महायज्ञ : डॉ. राजेश चौहान

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    हिमाचल प्रदेश, जिसे देवभूमि के नाम से जाना जाता है, पश्चिमी हिमालय की गोद में बसा एक ऐसा प्रदेश है, जहां प्राकृतिक सुंदरता, सांस्कृतिक समृद्धि और धार्मिक परंपराओं का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। यहां की भूमि न केवल अपनी बर्फ से ढकी पर्वत चोटियों, हरी-भरी घाटियों और निर्मल जल धाराओं के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसकी प्राचीन सांस्कृतिक धरोहरें और अद्वितीय धार्मिक अनुष्ठान भी इसकी पहचान हैं। हजारों वर्षों से हिमाचल प्रदेश ऋषि-मुनियों, तपस्वियों और देवताओं का निवास स्थल रहा है। यहां की संस्कृति में धार्मिक आस्थाओं और सामाजिक परंपराओं का ऐसा ताना-बाना बुना हुआ है, जो इसे पूरे भारत में विशिष्ट बनाता है। इन्हीं सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं का प्रतीक है भूंडा महायज्ञ, जो हिमाचल प्रदेश की देव परंपरा और सामाजिक एकता का जीता-जागता उदाहरण है। यह महायज्ञ न केवल एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह समाज में भाईचारे, शांति और समृद्धि की भावना को बढ़ावा देने वाला एक महत्वपूर्ण अवसर भी है। भूंडा महायज्ञ हिमाचल प्रदेश की सांस्कृतिक और पौराणिक धरोहरों में से एक ऐसा आयोजन है, जो अपने अनूठे स्वरूप औ...