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हिमाचल गौरव डाॅ.कृष्ण लाल सहगल को समर्पित, "बांका मुल्का हिमाचला।" By Dr.Rajesh K Chauhan

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  हिमाचल गौरव डाॅ.कृष्ण लाल सहगल को समर्पित,"बांका मुल्का हिमाचला।" डॉ.राजेेेश चौहान   हिमाचल गौरव, संगीत शिरोमणी, हिमालय शिरोमणी आदि अनेक सम्मानों से विभूषित डाॅ.कृष्ण लाल सहगल को हिमाचली लोक संगीत का भीष्म पितामाह कहें तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। इन्होंने जिस भी गीत को अपनी आवाज़ दी वह प्रसिद्धि के शिखर पर पहुंचा। इनका जन्म 3 अक्टूबर 1949 को पिता गंगाराम और माता राम देवी के घर गांव भुईरा (राजगढ़) ज़िला सिरमौर में हुआ। बाल्यकाल से संगीत के प्रति अपरिमित रुचि होने के कारण ये विद्यालय में आयोजित होने वाली बाल सभाओं में गीत गाया करते थे। बचपन से ही इनकी आवाज़ में इतना माधुर्य था कि इनके गीत सुनकर विद्यालय के अध्यापक जीवन सिंह वर्मा, प्रेम सिंह ठाकुर और हैडमास्टर प्रेमनाथ दस्सन ने इनको पार्श्व गायक कुंदन लाल सहगल के नाम से मेल खाता उपनाम 'सहगल' दे दिया जो इनके नाम के साथ ताउम्र जुड़ा। पारिवारिक कारणों से इन्हें अपनी स्कूल की पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ी और पिता के कहने पर अपना पुश्तैनी व्यवसाय अपना लिया। अत्यधिक व्यस्तताओं के बावजूद भी पढ़ाई प्राइवेट छात्र के रुप में ज...

नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जीवन चरित्र से प्रेरणा लें युवा - Dr.Rajesh K Chauhan

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नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जीवन चरित्र से प्रेरणा लें युवा                                                                                                 डाॅ.राजेश के चौहान, न्यू शिमला "तुम मुझे ख़ून दो मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा" इस नारे से करोड़ों युवाओं के हृदय में व़तनपरस्ती की अग्निशिखा जगाने वाले भारत माता के वीर सपूत सुभाष चंद्र बोस सदैव युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणास्रोत रहेंगे। हज़ारों खो रहे थे आज़ादी की उस लड़ाई में पर फिर भी ना जज़्बे में कमी थी ना साहस में, मातृभूमि से मोहब्बत के अलिंगन में एक ऐसी सुखद अनुभूति थी, जहां हर दर्द दूर हो जाता और हर ज़ख़्म भी भर जाता था। ऐसा था देश के सच्चे बेटे, आज़ाद हिन्द फ़ौज का नेतृत्व करने वाले, भारत ही नही अपितु विदेशी भूमि से भी भारत की आज़ादी का उदघोष करने वाले, हम सभी के प्रिय नेताजी का विराट व्यक्तित्व। ने...