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Vatan pe mar mitenge hum lyrics. Lyricist: Dr. Rajesh K Chauhan

  व़तन पे मर मिटेंगे व़तन पे मर मिटेंगे हम, वतन पे देंगे जान देश के सिपाही हम हैं, देश के जवान । सरहदों पे जो भी हमसे टकराएगा देश की क़सम है, ना वो बच पाएगा आतंक से लडेंगे छीन लेंगे उसके प्राण देश के सिपाही हम .......................... उठा खड़क ज़रा ना डर क़दम बढ़ाए जा क़दम क़दम पे दश्मनों के सर उड़ाए जा  हिन्द का तिरंगा अपनी आन-बान-शान देश के सिपाही हम............................ ख़ुशी के गीत गुनगुनाते बढ़ते जाएंगे मर मिटेंगे पर कभी न सर झुकाएंगे सत्य मेव जयते ही हमारा गान देश के सिपाही हम ............................ रचनाकार डाॅ.राजेश चौहान स्वर वाटिका न्यू शिमला

व्यासपुर से बिलासपुर तक का सफ़र

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व्यासपुर से बिलासपुर तक का सफ़र रियासत कालीन कहलूर को आज हम बिलासपुर के नाम से पुकारते हैं। कहलूर रियासत में अवस्थित सात पहाड़ियों (त्यूंण, स्यूंण, कोट, नैना देवी, झंझियार, बहादरपुर और बंदला)  के कारण इसे सतधार भी कहा जाता है। अनेक उतार-चढ़ाव देख चुकी इस रियासत की नींव बिलासपुर गजे़टियर के अनुसार बीरचंद ने 697 ई. में रखी जबकि डॉ. हचिसन एण्डवोगल की पुस्तक 'हिस्ट्री ऑफ़ पंजाब हिल स्टेट' के अनुसार बीरचंद ने कहलूर रियासत की स्थापना 900 ई. में की थी। वीरचंद मूलतः बुदेलखण्ड ( मध्य प्रदेश ) चन्देरी के चंदेल राजपूत थे। सतलुज पार कर उसने सर्वप्रथम रुहंड ठाकुरों को हराकर किला स्थापित किया जो बाद में कोट - कहलूर किला कहलाया। अपने तैंतीस वर्षों के शासनकाल में वीरचंद ने हिमाचल की 12 ठकुराइयों ( बाघल , कुनिहार , बेजा , धामी , क्योंथल , कुठाड , जुब्बल , बघाट , भजी , महलोग , मागल , बलसन ) को जीत कर कहलूर रियासत का विस्तार किया। उसने नैणा के आग्रह पर नैना देवी मंदिर की स्थापना की और उसके नीचे अपनी राजधानी बनाई। बीरचंद के बाद उसके वंशज इस रियासत पर भारत गणराज्य में इसके विलय (1954 ई.) तक यहां रा...