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अंतर्राष्ट्रीय संवाद में हिंदी का बढ़ता महत्व - डॉ. राजेश चौहान ( Dr. Rajesh K Chauhan )

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  अंतर्राष्ट्रीय संवाद में हिंदी का बढ़ता महत्व 21वीं सदी में वैश्वीकरण और संचार के साधनों की प्रगति के साथ अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भाषाओं का महत्व बढ़ गया है। हिंदी, जो भारत की सबसे प्रमुख भाषाओं में से एक है, अब केवल राष्ट्रीय सीमाओं तक सीमित नहीं है। यह भाषा वैश्विक स्तर पर एक महत्वपूर्ण संवाद माध्यम बनती जा रही है, खासकर उन देशों में जहां भारतीय समुदाय का निवास है। हिंदी की बढ़ती लोकप्रियता न केवल सांस्कृतिक, बल्कि राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। हिंदी वर्तमान में विश्व की तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। 2024 के आंकड़ों के अनुसार, लगभग 650 मिलियन लोग हिंदी बोलते हैं। भारत में हिंदी प्रमुख भाषा है, लेकिन नेपाल, मॉरीशस, फिजी, सूरीनाम, गुयाना, त्रिनिदाद और टोबैगो, और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों में भी हिंदी बोलने वाले लोग मौजूद हैं। इसके अतिरिक्त, अमेरिका, कनाडा, यूके, ऑस्ट्रेलिया, और खाड़ी देशों में प्रवासी भारतीय समुदाय के कारण हिंदी का प्रसार तेजी से हो रहा है। संयुक्त राष्ट्र महासभा जैसे अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर हिंदी के उपयोग को बढ़ावा देने के लि...

साक्षरता: सशक्त समाज की परिकल्पना - Dr. Rajesh K Chauhan

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  साक्षरता: सशक्त समाज की परिकल्पना साक्षरता किसी भी समाज के विकास की आधारशिला होती है। यह व्यक्ति को न केवल पढ़ने और लिखने की क्षमता प्रदान करती है, बल्कि उसे अपने अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूक बनाती है। एक साक्षर व्यक्ति समाज में सकारात्मक बदलाव लाने में सक्षम होता है, और यह बदलाव केवल व्यक्तिगत नहीं, बल्कि सामूहिक स्तर पर महसूस किया जाता है।  अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस हर वर्ष 8 सितंबर को विश्वभर में मनाया जाता है। इसका उद्देश्य दुनिया भर में साक्षरता के महत्व को उजागर करना और निरक्षरता को समाप्त करने की दिशा में जागरूकता फैलाना है। इस दिन को मनाने का आरंभ 1966 में यूनेस्को (संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन) द्वारा किया गया था। यह दिन न केवल शैक्षिक अधिकारों के प्रति जागरूकता फैलाता है, बल्कि यह हमें यह भी याद दिलाता है कि दुनिया के बहुत से लोगों के लिए शिक्षा अभी भी एक अधूरी सपना है। साक्षरता एक व्यक्ति के जीवन में मील का पत्थर साबित होती है। यह न केवल पढ़ने और लिखने की क्षमता को दर्शाती है, बल्कि व्यक्ति की सोचने, समझने और निर्णय लेने की क्...

गुरु वंदन - हमारी सांस्कृतिक धरोहर : Dr.Rajesh K Chauhan

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  अज्ञान तिमिरान्धस्य ज्ञानाञ्जन शलाकया ।  चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै श्री गुरवे नमः ॥ गुरुओं का सम्मान करना भारतीय संस्कृति और परंपरा का एक महत्वपूर्ण अंग है। भारत में गुरु-शिष्य परंपरा की जड़ें अत्यंत गहरी हैं, और यह परंपरा सदियों से हमारे जीवन और समाज का अभिन्न हिस्सा रही है। गुरु, केवल शिक्षा का माध्यम नहीं होते, बल्कि वे शिष्य के जीवन को संवारने, उसके आचरण को मार्गदर्शन देने और उसे नैतिक मूल्यों से परिचित कराने वाले होते हैं।  शिक्षक केवल वही नहीं होता जो कक्षा में पाठ्यक्रम की सामग्री पढ़ाए, बल्कि वह भी होता है जो हमें जीवन के विभिन्न अनुभवों से सीखने में मदद करता है। हमारे जीवन में हर कोई जो हमें कुछ सिखाता है, चाहे वह व्यक्ति हमारे माता-पिता हों, हमारे दोस्त हों, या कोई अपरिचित व्यक्ति हो जिसने हमें जीवन का एक महत्वपूर्ण पाठ सिखाया हो, सभी हमारे गुरु ही होते हैं।   गुरु वह है जो हमें जीवन की सच्चाईयों से अवगत कराता है, हमें सही और गलत का अंतर समझाता है, और हमारी सोच को एक सही दिशा देता है। उन्होंने हमें न केवल शैक्षिक ज्ञान दिया बल्कि नैतिकता, अनुशासन, और...