संगीत मानवता के भावों के विस्फोट के रुप में सामने आता है
संगीत मानवता के भावों के विस्फोट के रुप में सामने आता है डॉ.राजेश के चौहान "जहाँ पर शब्द काम करना बन्द कर देते हैं, वहां से संगीत बोलना शुरू करता है।" महान लेखक क्रिस्चियन एंडरसन का ये कथन आज के संदर्भ में सत्य प्रतीत होता है। संगीत मानवता के भावों के विस्फोट के रूप में सामने आता है। इसमें कुछ ऐसे अलौकिक गुण विद्यमान होते हैं, जो हमें अंदर तक छू जाते हैं। इससे फर्क नही पड़ता कि हम किस संस्कृति से जुड़े हुए हैं, संगीत सभी को ही अपनी ओर आकर्षित करता है। जब हमारा हृदय पीड़ा से भर जाता है, विचलित तथा एकाकी होकर थक जाता है ऐसी स्थित में भी संगीत चित को प्रसन्न करने की क्षमता रखता है। गायन, वादन और नृत्य तीनों के समावेश को संगीत कहते हैं। सर्वप्रथम संगीतरत्नाकर ग्रन्थ में गायन, वादन और नृत्य के मेल को ही ‘संगीत’ कहा गया है। ‘गीत’ शब्द में ‘सम्’ उपसर्ग लगाकर ‘संगीत’ शब्द बना, जिसका अर्थ है ‘गान सहित’। नृत्य और वादन के साथ किया गया गान ही ‘संगीत’ है। शास्त्रों में संगीत को साधना भी माना गया है। ...