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संगीत मानवता के भावों के विस्फोट के रुप में सामने आता है

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संगीत मानवता के भावों के विस्फोट के रुप में सामने आता है डॉ.राजेश के चौहान "जहाँ पर शब्द काम करना बन्द कर देते हैं, वहां से संगीत बोलना शुरू करता है।"  महान लेखक क्रिस्चियन एंडरसन का ये कथन  आज के संदर्भ में सत्य प्रतीत होता है।  संगीत मानवता के भावों के विस्फोट के रूप में सामने आता है। इसमें कुछ ऐसे अलौकिक गुण विद्यमान होते हैं,  जो हमें अंदर तक छू जाते हैं। इससे फर्क नही पड़ता कि हम किस संस्कृति से जुड़े हुए हैं, संगीत सभी को ही अपनी ओर आकर्षित करता है। जब हमारा  हृदय  पीड़ा से भर जाता है, विचलित तथा एकाकी होकर थक जाता है ऐसी स्थित में भी संगीत  चित को प्रसन्न  करने की क्षमता रखता है।  गायन, वादन और नृत्य तीनों के समावेश को  संगीत  कहते हैं।  सर्वप्रथम संगीतरत्नाकर  ग्रन्थ में गायन, वादन और नृत्य के मेल को ही ‘संगीत’ कहा गया है। ‘गीत’ शब्द में ‘सम्’ उपसर्ग लगाकर ‘संगीत’ शब्द बना, जिसका अर्थ है ‘गान सहित’। नृत्य और वादन के साथ किया गया गान ही ‘संगीत’ है। शास्त्रों में संगीत को साधना भी माना गया है। ...

लॉकडाउन में ऑनलाइन कक्षाएं एक बड़ी चुनौती

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लॉकडाउन में ऑनलाइन कक्षाएं एक बड़ी चुनौती                                                                                                     डॉ.राजेश के चौहान भारत में लॉकडाउन के चलते सभी शिक्षण संस्थान बंद हैं। स्कूल और कॉलेज के विद्यार्थी घर पर रहने को मजबूर हैं। इस स्थिति में सरकार के निर्देशानुसार स्कूल प्रशासन ऑनलाइन क्लासेस के माध्यम से  घर में ही पढ़ाई करवा रहा है। व्हाट्सऐप ,  फेसबुक पर क्लोस्ड ग्रुप बनाकर तथा विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए  भी क्लासेस ले रहे हैं। इस आपातकाल में बच्चों की शिक्षा पर ज़्यादा असर न पड़े इसलिए सरकार ने ऑनलाइन  और डिजिटल माध्यमों से शिक्षा देने के निर्देश दिये हैं। कोरोना की वजह से हुए लॉकडाउन की वजह से सरकारी तथा निजी संस्थानों में शिक्षारत सभी विद्यार्थियों की शिक्षा बाधित ...

प्रकृति के प्रांगण में निरंकुश मानव पर कोरोना का प्रकोप

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प्रकृति के प्रांगण में निरंकुश मानव पर कोरोना का प्रकोप         Dr.Rajesh K Chauhan आज दुनियां का हर देश कोरोना महामारी के सामने त्राहिमाम-त्राहिमाम कर रहा है। दुनिया को अपनी मर्जी से किसी भी दिशा में मोड़ने की ताकत रखने वाले बड़े से बड़े सूरमा भी चूहे बनकर अपने-अपने बिलों में दुबक कर बैठने को मजबूर हैं। विश्व का सबसे शक्तिशाली प्राणी आज सामान्य दृष्टि से नज़र भी न आने वाले छोटे से वायरस की वजह से अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है।   कोरोना नामक दैत्य ने मनुष्य के जल-थल और नभ सभी मार्ग अवरुद्ध कर दिए हैं। चारों तरफ एक सन्नाटा सा पसर गया है। एक मानव दूसरे मानव से डर रहा है। गले लगाकर अभिवादन और हाथ मिलाना तो दूर अब नमस्ते भी तीन मीटर दूर से की जा रही है। गलियां सूनी हो गई हैं और बाज़ार मानव विहीन दृष्टिगोचर हो रहे हैं। हां, यदा-कदा जंगली जानवर शहरों की रौनक अवश्य बढ़ा रहे हैं। जनेश्वर, अंबेडकर जैसे बड़े-बड़े पार्क, शिमला, मनाली, मसूरी, एलिफेंटा, खंडाला, आगरा का ताजमहल, दिल्ली का लाल किला, मैसूर का किला, जयपुर का हवामहल, असम में चाय के बाग़ान, कश्मीर स...