जन्माष्टमी के सामाजिक एवं सांस्कृतिक मायने - Dr. Rajesh k Chauhan
जन्माष्टमी हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है जिसे पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व भाद्रपद माह की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। मान्यता के अनुसार इस दिन कन्हैया का जन्म हुआ था। श्रीकृष्ण का जन्म, जिन्हें विष्णु का आठवां अवतार माना जाता है, पृथ्वी पर धर्म की पुनः स्थापना और अधर्म के नाश के लिए हुआ था। उनके जीवन और शिक्षाओं का प्रभाव न केवल धार्मिक है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है। इस दिन देश के सभी कृष्ण मंदिरों को भव्य और शानदार तरीके से सजाया जाता है। भक्तों की भीड़ इन मंदिरों में पूजा और दर्शन करने के लिए इस दिन उमड़ पड़ती है। कुछ लोग अपने घरों में भी कान्हा की मूर्ति घर लाकर भव्य तरीके से पूजा-अर्चना करते हैं और उपवास रखते हैं। बाज़ारों में खासी रौनक रहती है। जन्माष्टमी के अवसर पर बच्चों के लिए कई विशेष गतिविधियाँ और कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। स्कूलों और धार्मिक संस्थानों में बच्चों को कृष्ण और राधा की पोशाक पहनाई जाती है और वे भगवान कृष्ण के जीवन से संबंधित नाटकों और झांकी में भाग लेते हैं। अनेक स्थानों पर ...