केरल प्रवास : एक संस्मरण : डॉ. राजेश चौहान
केरल जिसे "ईश्वर का अपना देश" कहा जाता है, अपनी नैसर्गिक सुंदरता, सांस्कृतिक विविधता और अनुशासनप्रिय जीवनशैली के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है। जब मुझे केंद्र सरकार की नौकरी के तहत पहली पोस्टिंग केरल के कासरगौड जिले के छोटे से कस्बे कान्हनगढ़ में मिली, तब मैंने इस अनोखी भूमि की खूबसूरती और खासियतों को करीब से देखा। यह अनुभव न केवल मेरे करियर की शुरुआत का प्रतीक था, बल्कि एक नई संस्कृति, जीवनशैली और सोच को आत्मसात करने का अवसर भी था। दिल्ली से कान्हनगढ़ तक की लंबी यात्रा के बाद जब मैं स्टेशन पर उतरा, तो वहाँ का वातावरण और व्यवस्था देखकर मेरी थकान पलभर में दूर हो गई। कान्हनगढ़ रेलवे स्टेशन का अनुशासित और स्वच्छ माहौल एक सुखद आश्चर्य था। स्टेशन की सफाई, लोगों का व्यवस्थित आचरण और शांति मुझे तुरंत भा गई। मुझे यह देखकर लगा कि स्वच्छता यहाँ की जीवनशैली का हिस्सा है, न कि केवल दिखावे के लिए अपनाई गई आदत। स्टेशन से बाहर निकलते ही यह अनुशासन और स्पष्ट हो गया। ऑटो रिक्शा चालक अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे, और मैंने जब किराया पूछा तो मोलभाव करने की कोई आवश्यकता नहीं पड़ी। जब मैंने दूसरे च...